बालक – रचनात्मकता का भंडार अल्गुरी राम नारायण, टीजीटी गणित द्वारा लिखित, प्रकाशित सीईएनबीओएसईसी में बच्चे स्वाभाविक रूप से रचनात्मक होते हैं, उनमें जिज्ञासा और कल्पनाशक्ति भरी होती है। उचित वातावरण मिलने पर उनकी क्षमताएँ निखरती हैं। अन्वेषण, प्रश्न पूछने और आत्म-अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करने से नवाचार विकसित होता है। विद्यालयों और अभिभावकों को गतिविधियों, कहानी सुनाने और समस्या समाधान के माध्यम से रचनात्मकता को बढ़ावा देना चाहिए। प्रत्येक बच्चे के भीतर असीमित विचार होते हैं, जिन्हें खोजा और संवारा जा सकता है ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल बने।।
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